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त्याग की मूरत, धैर्य की पहचान,हर मुश्किल में रखती है मान।सहनशीलता उसकी पहचान,हर रिश्ते को देती है जान। यही है नारी की पहचान ।

महिला सशक्तिकरण की तरफ बढ़ता कदम है महिला दिवस

झारखंड की कई बेटियां हैं महिलाओं के लिए प्रेरणा

आकाश कुमार हमारे लातेहार जिले में भी बेटियों ने जिले का सम्मान बढ़ाया है आज पूरा विश्व महिला दिवस मना रहे हैं, जो महिलाओं की उपलब्धियों, उनकी शक्ति और उनके योगदान का जश्न मनाने का दिन है। यह दिन हमें महिलाओं के अधिकारों, समानता और न्याय के लिए लड़ने के लिए भी प्रेरित करता है।महिलाएं हमारे समाज की रीढ़ हैं, और उनकी भूमिका को कभी भी कम नहीं आंका जा सकता। वे माता, बहन, पत्नी और दोस्त के रूप में हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।लेकिन आज भी महिलाएं कई चुनौतियों का सामना करती हैं। उन्हें घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न और अन्य प्रकार के अपराधों का सामना करना पड़ता है।

उन्हें समाज में समानता और न्याय के लिए लड़ना पड़ता है।लेकिन हमें उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। हमें महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण करने के लिए एकजुट होना चाहिए। हमें महिलाओं को सम्मान देना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। रूस में 1917 की क्रांति के दौरान महिलाओं ने बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया। उन्होंने युद्ध के खिलाफ आवाज उठाई और बेहतर अधिकारों की मांग की। महिलाओं के इस आंदोलन ने वहां की सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया, और उन्हें वोटिंग का अधिकार मिला। यह प्रदर्शन 8 मार्च को हुआ था, इसलिए इस तारीख को महिला दिवस के रूप में चुना गयाआइए हम महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं। आइए हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण करने के लिए एकजुट हों। आइए हम महिलाओं को सम्मान दें और उनके अधिकारों की रक्षा करें।

महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है अस्मिता : महिला अधिवक्ता लातेहार

अस्मिता एक्का अधिवक्ता लातेहार

महिला अधिवक्ता अस्मिता एक्का लातेहार जिले की बेटी और बहु है उन्होंने कही की आज महिलाएं हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर रही हैं- चाहे वह शिक्षा हो, विज्ञान हो, राजनीति हो या फिर खेल. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अभी भी महिलाओं को समान अधिकारों देने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इस महिला दिवस पर, हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं का सम्मान करेंगे, उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे. तभी महिलाएं हर छेत्र में अपनी उपलब्धि दे पाएंगे। अगर हम अभी कदम नहीं उठाएंगे, तो समानता की यह दौड़ और लंबी हो जाएगी. महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है. जब हम बेटियों को आगे बढ़ने का मौका देंगे, जब हम महिलाओं को निर्णय लेने का हक देंगे, तभी असली समानता आएगी ।

महिला दिवस के अवसर पर दहेज मुक्त समाज बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं। : सिंधु मिश्रा दहेज मुक्त संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष

दहेज मुक्त संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिंधु मिश्रा ने नव प्रदेश दैनिक अखबार से बात करने पर उन्होंने कहा कि महिला दिवस के अवसर पर, मैं सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देती हूं। आज का दिन हमें महिलाओं की उपलब्धियों, उनकी शक्ति और उनके योगदान का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन आज भी हमारे समाज में महिलाएं कई चुनौतियों का सामना करती हैं। दहेज प्रथा एक ऐसी चुनौती है जो महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती है। यह प्रथा महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित करती है और उन्हें घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बनाती है। इसलिए, हमें दहेज मुक्त समाज बनाने के लिए एकजुट होना चाहिए। हमें महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण करने के लिए काम करना चाहिए। हमें महिलाओं को सम्मान देना चाहिए और उनके अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। आइए हम महिला दिवस के अवसर पर दहेज मुक्त समाज बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएं। आइए हम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और संरक्षण करने के लिए एकजुट हों। आइए हम महिलाओं को सम्मान दें और उनके अधिकारों की रक्षा करें।”सिंधु मिश्रा ने आगे कहा, “हमें महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करना चाहिए। हमें महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करनी चाहिए। हमें महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना चाहिए और उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

महिलाओं को अपने हक के लिए पहले खुद से लड़ना होगा,: संगीता लकड़ा चंदवा पश्चिमी मुखिया

चंदवा प्रखंड की पश्चिमी मुखिया संगीता लकड़ा लगातार तीन बार मुखिया रहने वाली महिला कहती है कि आज 8 मार्च का दिन सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि यह एक आंदोलन है, एक सोच है, एक समर्पण है उन महिलाओं के लिए जिन्होंने समाज को नई दिशा दी है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करें तो महिलाओं को अपने हक के लिए पहले खुद से लड़ना होगा, ताकि वह दुनिया से लड़ने में मजबूत हो सके।

महिलाएं आज हर छेत्र में अपना परचम लहरा रही है। बबीता कुमारी

लातेहार मनिका प्रखंड की बेटी और गढ़वा की बहु बबिता कुमारी को प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में बेहतर कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री हम लैंगिक समानता की दिशा में तेजी से कार्य करें. अपने देखा होगा, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है फिर चाहे वह विज्ञान हो, खेल हो या टेक्नॉलजी. लेकिन फिर भी समाज में अब भी कई चुनौतियां महिलाओं को लेकर बनी हुई हैं. इसलिए हमें मिलकर महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिएकार्यालय से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम प्रशस्ति पत्र मिला है।महिलाएं आज हर छेत्र में अपना परचम लहरा रही है ।जरूरत है तो समाज में साथ की ताकि मनोबल बड़े

समाज में अब भी कई चुनौतियां महिलाओं को लेकर बनी हुई हैं.सरिता टोप्पो महिला चिकित्सा

लातेहार चंदवा प्रखंड की बेटी महिला चिकित्सक सरिता टोप्पो हम लैंगिक समानता की दिशा में तेजी से कार्य करें. अपने देखा होगा, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है फिर चाहे वह विज्ञान हो, खेल हो या टेक्नॉलजी. लेकिन फिर भी समाज में अब भी कई चुनौतियां महिलाओं को लेकर बनी हुई हैं. इसलिए हमें मिलकर महिलाओं को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिए

नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है।: अनामिका सिन्हा शिक्षिका

महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो या खेल का मैदान।नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है-यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताःयानी जहां पर नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है।

हम किसी समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। रत्ना शहदेव लातेहार बीपीओ

लातेहार जिले की बहु रत्ना शहदेव लातेहार जिले में बीपीओ है ओ कहती है ।आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ उनके सामने खड़ी हैं। समाज में आज भी घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा में असमानता, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराइयां मौजूद हैं।अगर हम किसी समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके अधिकार, शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता देना ताकि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी सकें।

समाज की भी प्रगति और उन्नति में महिलाओं का ही योगदान होता है। : अनीता देवी जिला परिषद उपाध्यक्ष लातेहार

यह दिन महिलाओं के लिए समर्पित होता है। हम अपने जीवन में कई ऐसे रिश्तों से बंधे हुए हैं जहां एक महिला उस रिश्ते की सूत्रधार है। जैसे कि मां, पत्नी, प्रेमिका या फिर बहन। जिस तरह एक घर को शांतिपूर्ण बनाने में एक महिला का अहम योगदान होता है उसी तरह समाज की भी प्रगति और उन्नति में महिलाओं का ही योगदान होता है।

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