आकाश कुमार रमजान का महीना शुरू हो चुका है और आज रमजान का पहला दिन है यह दिन बरकतों, नेकियों और नियामतों का है। इसकी आमद पर दुनियाभर में मुसलमान खुशी महसूस करते हैं। अरबी भाषा में गरमी की शिद्दत को रम्ज और धूप से तपती हुई जमीन को रमजा कहा जाता है। इस दौर में चूंकी- रमजान-उल-मुबारक का महीना सख्त गर्मी में आता था, इसलिए इसे रमजान कहा जाने लगा। एक रिवायत के मुताबिक रमजान अल्लाह के निन्यानवे नामों में से एक है। इसलिए लोग इसे एहतराम के साथ शहरे-रमजान अर्थात माह-ए-रमजान भी कहते हैं। सभी लोग रूहानी उम्मीदों के साथ इस महीने का इस्तकबाल करते हैं। रमजान सब्र का महीना है
और सब्र का फल जन्नत हैइसका मतलब यह है कि रोजेदार जब इस महीने में सिर्फ अल्लाह के लिए अल्लाह के हुक्म से और अल्लाह की खुशी के लिए अपनी पसंद की तमाम चीजें छोड़कर अपनी ख्वाहिशात को रोककर सब्र करता है, तो अल्लाहपाक ऐसी कुरबानी देने वाले बंदों को जन्नत की राहतें और लज्जतें अता फरमाएगा। यह महीना हमदर्दी का है। इस महीने में हर रोजेदार को भूख और प्यास का एहसास होता है। उसे पता चलता है कि दुनिया के जिन लोगों को गरीबी की वजह से फाके होते हैं, उन पर क्या बीतती होगी। रोजे से आदमी में इंसानियत के प्रति हमदर्दी और गम ख्वारी का जज्बा पैदा होता है।