आकाश कुमार लातेहार जानकारी के मुताबिक शब-ए-बारात शाबान के महीने में मनाया जाता है। बता दें, कि शाबान इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना है, जिसकी 14वीं और 15वीं दरमियानी रात को मुसलमान शब-ए- बरात का त्योहार मनाते हैं। इस्लाम धर्म के अनुसार शब-ए बारात की रात अल्लाह पाक की इबादत की रात है।

अगर शब-ए बारात की रात सच्चे दिल से अल्लाह पाक की इबादत और अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की तौबा की जाए तो ऐसे में अल्लाह पाक सभी गुनाह को माफ़ कर देता है।शब-ए-बारात दो शब्द शब एंव बारात से मिलकर बना है। शब-ए-बारात का अर्थ मतलब होता है: शब का मतलब रात एंव बारात का मतलब बरी यानी बरी वाली रात। इस रात आप खुदा की इबादत कर के खुदा को खुश करने की रात है।

शब-ए-बारात की रात में जो उनके अपने इंतकाल/रुखसत/मर जाना/अलविदा कर गए। उनकी कब्र पर जाकर मगफिरत की दुआ/फ़ातिहा/कब्र के अजाब से बचाने की दुआ/इत्यादि पढ़ते है इस रात अल्लाह पाक की तिलावत/इबादत भी किया जाता है खुद के गुनाहों साथ ही अपने बुजुर्गो या फिर जितने भी दुनिया में इससे पहले गुजर चुके है।

उनके गुनाह माफ़ करने के लिए अल्लाह पाक से दुआं करते है। मस्जिद में मुस्लिम समुदाय के भाई, तकरीर सुनते है कुछ घर पर रहकर तिलावत करते है एंव कुछ आला औलिया के मजार पर जाते है और पीर/फ़क़ीर/बाबा/इत्यादि का वसीला लेकर अल्लाह पाक से खुद के गुनाह मांफ मांगते है जो इस दुनिया से जा चुके है शब ए बारात/शबे बारात पर उनके मग्फिरत की दुआ के लिए वसीला से दुआ मागते है।यह रात रहमत की रात मानी जाती है। इस दिन अल्लाह पाक कब्र के सभी इंसानों/मुर्दों को आजाद कर देता है। ऐसे में मुस्लिम भाई इस उम्मीद में होते है। उनके अपने घर आ सकते है इसलिए शब ए बारात की रात इबादत की जाती है।

अगले दिन रोजा रखा जाता है हालांकि यह फर्ज रोजा नहीं होता है, इसे नफिल रोजा कहा जाता है। यानी इसे व्यक्ति अपनी इच्छा के मुताबिक रख सकता है। वहीं, जिन लोगों के रमजान का रोजा पूरा नहीं होता है,

शबे बारात की रात मुसलमानों के लिए बेहद फज़ीलत वाली रात है। इस रात को मुस्लिम भाई बहन अल्लाह पाक की इबादत करते है। अल्लाह पाक की इबादत के साथ साथ अल्लाह पाक से दुआंए और अपने गुनाह की मांफी भी मागते है।**सऊदी अरब में शब-ए-बारात को “लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान” के नाम से जाना जाता है। शब-ए-बारात के नाम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और नेपाल में जाना जाता है।

आज की रात मस्जिदों में इबादत करे कारी वहजुल हक जमा मस्जिद चंदवाआज शबे बारात सभी मुस्लिम आज की रात अल्लाह की इबादत करे कोशिश करे आज की रात मस्जिदों में इबादत करे और अपनी गुनाहों को माफ करवाए। आज अल्लाह से मांगने की रात है और अल्लाह को राजी करे । आज की रात अल्लाह अपने बंदों की गुनाह माफ कर देते है