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लोहरदगा में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा जयंती को आंदोलनकारी दिवस के रूप में मनाया गया

lअमर पुरोधा जयपाल सिंह मुंडा एवं क्रांति ज्योति सावित्री बाई ज्योतिबा फुले को माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया नमन।

मुख्यमंत्री आंदोलनकारियों के हित में कम से कम गुरूजी आदरणीय शिबू सोरेन मॉडल को अविलंब लागू करें: राजू महतो।

विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों की समस्याओं के समाधान में गंभीरता दिखलाई जाए: कयूम खान।

जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों की मांगों का समाधान करें: अश्विनी कुजूर।

अनामिका भारती।लोहरदगाः झारखंड आंदोलनकारी महासभा लोहरदगा जिला समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को समाहरणालय के सामने युकेलिप्टस मैदान में जिलाध्यक्ष अश्विनी कुजूर की अध्यक्षता में जयपाल सिंह मुंडा की जयंती को आंदोलनकारी दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में सर्व प्रथम जिला प्रवक्ता अनिल कुमार भगत द्वारा मुख्य अतिथि केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो, प्रधान महासचिव कयूम खान सहित सभी आंदोलनकारियों का स्वागत किया गया।

अमर पुरोधा जयपाल सिंह मुंडा एवं क्रांतिज्योति सावित्री बाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर नमन की गई। मुख्य अतिथि केन्द्रीय अध्यक्ष राजू महतो ने अमर पुरोधा जयपाल सिंह मुंडा एवं शिक्षा क्रांति ज्योति सावित्री बाई फुले को नमन करते हुए अपने संबोधन में कहा कि माता सावित्री बाई फुले एवं मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा राष्ट्रीय स्तर के समाजिक परिवर्तन के बुनियाद रखने वाले व्यक्तित्व का नाम है। उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के संघर्ष और कुर्बानियों से बना है।

लेकिन आज आंदोलनकारियों को अपनी पहचान और हक की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गर्व से कहते हैं कि मैं झारखंड आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पुत्र हूं। उन्हें आंदोलनकारियों के दर्द को समझते हुए आंदोलनकारियों के हित में कम से कम गुरूजी आदरणीय शिबू सोरेन मॉडल को अविलंब लागू करे। उन्होंन कहा कि गुरुजी के मांग के मुताबिक प्रत्येक आंदोलनकारी को 8000 रूपए पेंशन, एक-एक पक्का मकान, चिकित्सा, नियोजन सहित सभी सुविधाएं लागू करेंगे।प्रधान महासचिव कयूम खान ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जन्म से लेकर झारखंड राज्य की नींव रखने तक की पूरी जीवन दर्शन रखते हुए कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 24 वर्ष बीत गए, लेकिन झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याएं और मांगें जस के तस बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को चाहिए कि आंदोलनकारियों के हित में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों की समस्याओं के समाधान में गंभीरता दिखलाई जाए। वरीय उपाध्यक्ष अश्विनी कुजूर ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी की स्थिति आज हाशिए पर हैं। लगातार अपने मान-सम्मान की लड़ाई के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशील बनें और जल्द से जल्द आंदोलनकारियों की मांग जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों को मान-सम्मान, पहचान, नियोजन पेंशन सहित लंबित 11 सूत्री मांगों का समाधान करें। पलामू प्रमंडल के डीएन राम ने कहा कि आंदोलनकारियों के कारण ही राज्य में हमारी पहचान है

। इस पहचान को संघर्ष के बल पर सुनिश्चित करनी होगी। प्रत्येक आंदोलनकारी अपनी पहचान के लिए अपनों से ही लड़ाई लड़ रहे हैं, जो दुर्भाग्य की बात है। महिला संयोजिका विनिता खलखो ने कहा कि 24 वर्षों के पश्चात भी झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। आज बार-बार अपने मान-सम्मान पहचान के लिए झारखंड आंदोलनकारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है। संबोधित करने वालों जिला संयोजक प्रो.विनोद भगत, कार्यकारी अध्यक्ष अमर किन्डो जिला सचिव विशेषण भगत, चैतू मुंडा, रूस्तम खान, इसरार अहमद, दिनेश साहू, पलामू के डीएन राम, सुरेंद्र प्रसाद, विजय प्रसाद, सुखदेव उरांव, दशरथ उरांव, मनोज उरांव, बलोमनी बाखला, सीता उरांव, कृष्णा कुमार ठाकुर, बिहारी भगत आदि शामिल थे। वक्ताओं ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी दिवस के अवसर पर झारखंड आंदोलनकारी अपने मान-सम्मान, पहचान नियोजन व पेंशन की लड़ाई के लिए तीव्र आंदोलन की रणनीति भी जल्द तय किया जाएगा। इस अवसर पर सूरज मोहन लकड़ा, जगदीश उरांव, सोमनाथ भगत, सुखदेव उरांव, जिला कोषाध्यक्ष कृष्णा ठाकुर, गंगा उरांव, ललिता भगत, अानंद कुमार, लक्ष्मी भगत, उषा रानी लकड़ा, संगीता वर्मा, अजीत खाखा, सुखराम भगत, महबूब अंसारी, सुशीला लकड़ा, असगर खान, सबिता लकड़ा, आरीफ खान, अफरोज शाह, शनि भगत, शंकर उरांव आदि समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी शामिल थे।

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