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दो दिवसीय क्षमता वर्धन कार्यशाला आयोजित।

अनामिका भारतीलोहरदगा: गुरुवार को होप संस्था छत्तर बगीचा लोहरदगा में सेकंड लाईन लीडरशीप को लेकर दो दिवसीय क्षमतावर्धन कार्यशाला का आयोजन किया गया । यह कार्यशाला 20 और 21 नवम्बर को लोहरदगा जिला के 5 पंचायत से 20 प्रतिभागियों ने अपनी पूर्ण सहभागिता प्रदान की। इसका मुख्य उद्देश्य वर्तमान समय में सरकार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से आदिवासी समाज को जोड़कर एकजुट करना तथा आदिवासी समाज में व्याप्त विभिन्न समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह प्रयास आदिवासी महिलाओं के नेतृत्व को विकसित करने हेतु एक प्रकिया झारखंड के तीन जिलों में लोहरदगा, गुमला तथा सिमडेगा में किया जा रहा है। यह पहल तीन जिलों के 18 पंचायतों में नियमित रूप से विगत दस महीने से शुरूवात की गई है। आदिवासी समाज दुनिया की चकाचौंध के प्रभाव में आकर अपनी संस्कृति एवं परंपरा से दूर हो रहा है

ऐसे में एक संगठित प्रयास की जरूरत है। होप ने तीन जिलों में लगातार 15 एवं 16 नवम्बर को गुमला में, 17 एवं 18 नवम्बर को विकास केंद्र सिमडेगा में और 20 और 21 को लोहरदगा में प्रशिक्षण दिया गया। होप द्वारा आदिवासी महिलाओं में नेतृत्व के विकास एवं उनको सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है उसी प्रक्रिया के तहत आदिवासी भाइयों एवं बहनों को संगठित करने एवं उनको संवैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सजग करने हेतु यह एक पहल है इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों एवं विभिन्न गांवों से आये आदिवासी बहनों एवं भाइयों को संबोधित एवं स्वागत करते हुए होप की मैनेजिंग ट्रस्टी मनोरमा एक्का ने कहा कि आप सबकी उपस्थिति एक दुसरे के लिए प्रेरणा का स्रोत है । आप अपने आदिवासी समाज के प्रति एक सजग प्रहरी के रूप में कार्य करने के लिए तत्पर हैं I होप परिवार की ओर से उपस्थित अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में हमारे आदिवासी समाज में कई तरफ से हमले हो रहे हैं। आदिवासी समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक होने की जरूरत है ताकि अपने इतिहास को बचा सके। हमें अपनी भाषा एवं संस्कृति को बचाने के लिए आगे आना होगा और महिलाओं को विशेष रूप से अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने हेतु पहल करने की बात कही। भाषा एवं परमपरागत ज्ञान को अच्छी नज़रों से नहीं देखे जाने के कारण आनेवाली पीढ़ी भी भाषा भूल रही है,ऐसे में हम सभी के सामने एक चुनौती है। आदिवासी समाज में महिलाओं को विशेष अधिकार देने की जरूरत है और महिलाओं को अपने बच्चों को भी विशेष देखभाल करने की जरूरत है I इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अरविन्द वर्मा, उज्जवल कुशवाहा, प्रतिमा डांग, निलेता टेटे, सीता उरांव, सरिता खरिया, सोनम दुलारी उरांव, उषा उरांव, यशोदा उरांव, विष्णु उरांव इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान रहा I

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