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झारखंड की माटी के लाल सधनु भगत को भाजपाइयों ने पार्टी कार्यालय में दी नम आंखों से अंतिम विदाई ।

वरिष्ठ भाजपा नेता सधनु भगत के पार्थिव शरीर को पार्टी झंडे से ढक कर दिया गया सम्मान।

अनामिका भारतीलोहरदगा:पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री,प्रखर वक्ता ,झारखंड आंदोलन कारी ,झारखंड की माटी के लाल,भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सधनु भगत के पार्थिव शरीर को गुरुवार की सुबह ब्लॉक मोड़ स्थित उनके आवास से शव वाहन से बक्सी डीपा स्थित भाजपा जिला कार्यालय लाया गया। जहाँ उनके पार्थिव शरीर को पार्टी के झंडे में लपेटा गया इसके बाद जिला अध्यक्ष मनीर उराँव के साथ सभी भाजपा कार्यकताओं द्वारा पुष्पार्चन कर अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें अंतिम विदाई दी गयी।मौके पर दो मिनट का मौन रख उनकी आत्मा की शांति व परिजनों को इस दु:ख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई।जिला अध्यक्ष ने शोक संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि हमारे पार्टी के एक

अभिभावक,मार्गदर्शक हम सबों को छोड़ कर बहुत दूर चले गए जो एक अपूर्णीय क्षति है।विदित हो कि 78 वर्षीय भाजपा नेता सधनु भगत का निधन बुधवार को सुबह 9 बजे उनके लोहरदगा ब्लोकमोड स्थित आवास में हो गया था।उन्हें कुछ दिनों से श्वास संबंधी समस्या थी ।पार्टी कार्यालय से शव वाहन में उनके पार्थिव शरीर को कार्यकर्ताओ ने मोटरसाइकिल एवं चारपहिया वाहन में सवार हो कर जुलूस के शक्ल में अगुवाई करते हुए एवं सधनु भगत अमर रहे नारा लगाते हुए पैतृक आवास हेसल बसार डीह ले जाया गया।जहाँ पारंपरिक रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया।मौके पर जिला अध्यक्ष मनीर उराँव,पूर्व विधान सभा अध्यक्ष दिनेश उराँव, वनवासी कल्याण केन्द्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह,विशुनपुर विधानसभा प्रत्याशी समीर उराँव, सिसई एवं विशुनपुर विधानसभा चुनाव प्रभारी सह पूर्व एमएलसी प्रवीण सिंह, खूंटी विधानसभा चुनाव प्रभारी ओम सिंह, एस्टी मोर्चा प्रदेश महामंत्री बिंदेश्वर उराँव, लोहरदगा

विधानसभा एनडीए प्रत्याशी नीरू शांति भगत,युवा मोर्च प्रदेश उपाध्यक्ष आजादशत्रु,त्रिवेणी दास, अजय मित्तल , चंद्र शेखर अग्रवाल ,ब्रजबिहारी प्रसाद,राजमोहन राम, राकेश प्रसाद ,लाल नवल नाथ साहदेव,राजकिशोर महतो ,मुरारी खत्री, विनोद राय, परमेश्वर साव महामंत्री अजय पंकज,हर्षनाथ महतो, नवीन कुमार टिंकू,जगनन्दन पौराणिक,सरिता देवी, पशुपति नाथ पारस ,संजय प्रसाद,मीना बाखला,बाल कृष्णा सिंह, राजकुमार वर्मा, विजय सोनी सुरेश लोहरा,ओम गुप्ता ,लक्ष्मी नारायण भगत,कलावती देवी,अशोक साहू ,बाल्मीकि कुमार,मिथुन तमेडा,विवेक चौहान,राजकुमार मुंडा,सहित अनेक वरिष्ठ कार्यकर्ता शामिल थे।

सधनु भगत ने अलग झारखंड आंदोलन में निभाई अहम भूमिका।

19 जनवरी 1946 को लोहरदगा जिले के हेसल बसारडीह में किसान परिवार में जन्मे सधनु भगत स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर बिरसा सेवा दल से जुड़कर सामाजिक जीवन की शुरुवात की।इसके बाद उन्होंने दिशुम गुरु शिबू सोरेन के संपर्क में आये और झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए।दिसुम गुरु ने उन्हें पार्टी का सचिव बनाया ,इसके बाद सधनु भगत शिबू सोरेन के साथ झारखंड आंदोलन में कूद पड़े।सधनु भगत 1994 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, उस समय अलग वनांचल को लेकर पार्टी द्वारा भी जोरदार आंदोलन चलाया जा रहा था,संधनु भगत ने पार्टी में शामिल होने के बाद आंदोलन में जान फूंक दी।

लोहरदगा विधानसभा से जीत दर्ज कर पहली बार लोहरदगा में कमल खिलाया।

भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद सधनु भगत के संगठन एवं अलग वनांचल आंदोलन में उनके कार्यो को देखते हुए 1995 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें लोहरदगा विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया।चुनाव में कांग्रेस एवम भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ी टक्कर में सधनु भगत ने कांग्रेस के कई बार विधायक रहे इंद्रनाथ भगत को लगभग 2800 वोट से हरा कर लोहरदगा विधानसभा में पहली बार कमल खिलाया और एकीकृत बिहार के विधायक बने। सन 2000 ईसवी के विधानसभा चुनाव में उन्हें पुनः लोहरदगा विधान सभा चुनाव में टिकट मिला और कांग्रेस के उम्मीदवार को हरा कर विधायक बने।15 नवम्बर 2000 को अलग झारखंड में मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के मंत्रिमंडल में परिवहन एवं भवन विभाग का मंत्री बने।इसके बाद उसी कार्यकाल में मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के मंत्रिमंडल में श्रमनियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के मंत्री बने।

को लेकर भी आंदोलनरत रहे सधनु भगत।आदिवासी नेता होने के कारण आदिवासियों के हक अधिकार ,शिक्षा ,शराबबंदी एवं संस्कृति की रक्षा को लेकर भी आंदोलनरत रहे।प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाने वाले सधनु भगत राजनीति जीवन के साथ सामाजिक जीवन को साथ ले कर चलते रहे।उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रो में आदिवासी समाज के बीच बैठक कर उन्हें अपने सांस्कृतिक रक्षा, बच्चों को शिक्षा, शराब बंदी एवं सामाजिक कुरीतियों को लेकर आजीवन अलख जागते रहे।उन्होंने दूसरे समुदाय द्वारा हड़पी गयी आदिवासियों की हजारो एकड़ जमीन को मुक्त कराने में अहम भूमिका निभायी।

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