आंदोलनकारियों के दर्द समझें व गुरूजी शिबू सोरेन मॉडल लागू करें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन: कयूम खान।
विशेष सत्र बुलाकर झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याओं का करें निदान: अमर किन्डो।
अनामिका भारती।लोहरदगाः झारखंड आंदोलनकारी महासभा लोहरदगा जिला समिति लोहरदगा की मासिक बैठक कार्यकारी अध्यक्ष अमर किन्डो की अध्यक्षता में बुधवार को समाहरणालय मैदान में हुई। जिसमें मुख्य रूप से केन्द्रीय प्रधान महासचिव कयूम खान मौजूद थे। मौके पर झारखंड आंदोलनकारी महासभा के केन्द्रीय प्रधान महासचिव कयूम खान ने झारखंड में पुनः इंडिया गठबंधन की प्रचंड बहुमत हासिल करने और हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनने पर महासभा की ओर से बधाई दी। कहा कि झारखंड आंदोलनकारी गुरूजी के पुत्र का पुनः मुख्यमंत्री बनना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों का दर्द समझेंगे और जेल जाने की बाध्यता समाप्त करते हुए सभी आंदोलनकारियों को समान रूप से मान-सम्मान नियोजन पेंशन सहित सभी सुविधाएं मुहैया कराएंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों के हित में कम से कम गुरूजी शिबू सोरेन मॉडल को अविलंब लागू किया जाए। गुरुजी के मांग के मुताबिक प्रत्येक आंदोलनकारी को प्रतिमाह 8000 रूपए पेंशन, एक-एक पक्का मकान, चिकित्सा, नियोजन सहित सभी सुविधाएं लागू करेंगे। अध्यक्षता करते हुए अमर किन्डो ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 24 वर्ष बीत गए, लेकिन झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याएं और मांगें जस के तस बनी हुई है। आंदोलनकारियों के हित में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आंदोलनकारियों की समस्याओं के समाधान में गंभीरता दिखलाई जाए। जिससे झारखंड आंदोलनकारियों में पनप रहे आक्रोश खत्म हो। वयोवृद्ध आंदोलनकारी सुखदेव उरांव ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी की स्थिति आज हाशिए पर हैं। लगातार अपने मान-सम्मान की लड़ाई के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री श्री सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों के प्रति संवेदनशील बनें और जल्द से जल्द आंदोलनकारियों की मांगों का समाधान करें। जिला कोषाध्यक्ष कृष्णा ठाकुर ने कहा कि आंदोलनकारियों के कारण ही राज्य में हमारी पहचान है। इस पहचान को संघर्ष के बल पर सुनिश्चित करनी होगी। प्रत्येक आंदोलनकारी अपनी पहचान के लिए अपनों से ही लड़ाई लड़ रहे हैं, जो दुर्भाग्य की बात है। हमें एक होकर तीखा आंदोलन करने की जरूरत है। चैतू मुंडा ने कहा कि 24 वर्षों के पश्चात भी झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। आज बार-बार अपने मान-सम्मान पहचान के लिए झारखंड आंदोलनकारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है। तारामनी मिंज ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी आज अपने अलग राज्य में परदेशी की भूमिका में जीवन यापन कर रहे हैं।

यह सबसे दुखद स्थिति है। सत्ता में जो बैठे हैं, झारखंड आंदोलनकारियों के त्याग बलिदान और संघर्ष के बल पर हैं। संबोधित करने वालों में नगर सचिव दिनेश साहू, बसंती लकड़ा आदि शामिल थे। मौके पर लौलेन तिर्की, अनुभा टोप्पो, तारामनी मिंज, सबिता लकड़ा, सुखराम भगत, मंगरा उरांव, संतकुमार उरांव, बैजू उरांव, बलदेव भगत, हरिश्चंद्र उरांव, संजय ठाकुर सहित बड़ी संख्या आंदोलनकारी उपस्थित थे। वरिष्ठ आंदोलनकारी स्व. सधनु भगत को दी गई श्रद्धांजलिआंदोलनकारी महासभा की बैठक के उपरांत जिला सचिव विशेषण भगत की अध्यक्षता में एक शोकसभा का आयोजन किया गया। दो मिनट के मौन धारण के साथ उनकी आत्मा की शांति एवं परिजनों को दुःख सहने की शक्ति देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। मौके पर केन्द्रीय प्रधान महासचिव कयूम खान ने वरिष्ठ झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व मंत्री सधनु भगत जी के आकस्मिक निधन को लोहरदगा ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति बताया।