लातेहार बढ़ते तापमान का असर अभी से दिखने लगा है. आम, लीची और रबी फसल का उत्पादन प्रभावित होने का डर लातेहार जिले के किसानों को सताने लगा है. सर्दी का मौसम होने के बावजूद फरवरी के महीने में वैसी ठंड नहीं पड़ी, जितनी पड़नी चाहिए थी. तापमान में असामान्य रूप से हुए बदलाव की वजह से गेहूं, दलहन और सब्जियों की फसलें खराब होने की आशंका जतायी जा रही है. ये फसलें अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हुई है. यदि यही स्थिति बनी रही, तो फसलों की उत्पादकता पर विपरीत असर पड़ेगा. 25 फरवरी के बाद से लगातार बढ़ता गया अधिकतम तापमान में असामान्य रूप से बदलाव देखने को मिल रहा है. विशेषकर 25 फरवरी के बाद से बदलाव देखने को मिल रहा है. 25 फरवरी के बाद से अधिकतम तापमान लगातार 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर है. यह जलवायु परिवर्तन का असर है. इसकी वजह से रबी की फसलें प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि रबी की फसलें मुख्यतः ठंडे मौसम की फसल होती है. इनकी खेती अक्टूबर से मार्च तक होती है.। गेहूं के लिए 24-26 डिग्री सेल्सियस अधिकतम और 10-12 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान उपयुक्त है. बढ़े हुए तापमान से अर्ली मैच्योरिटी होगी, जिससे दाने का वजन और गुणवत्ता प्रभावित होगी. उत्पादन में 10-15 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है. इसी प्रकार दलहन फसलों के फूलने और फल बनने की अवस्था में अत्यधिक तापमान परागण को प्रभावित करता है. इससे 15-20 प्रतिशत तक पैदावार में गिरावट हो सकती है.
अधिक तापमान से सब्जियों की फसलों में पानी की मांग बढ़ेगी, जिससे सिंचाई की जरूरत पड़ेगी. फल और फूल गिरने की समस्या हो सकती है.आम और लीची की खेती पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है. तापमान में असामान्य वृद्धि और मानसूनी अनिश्चितता इन फसलों के उत्पादन, गुणवत्ता और आर्थिक लाभ पर प्रतिकूल असर डाल सकते हैं. आम और लीची के मंजर बनने में दिक्कत हो सकती है. यदि मंजर बन भी जाये, तो अत्यधिक गर्मी से फूल के झड़ने की आशंका रहती है. इससे उत्पादन कम हो सकता है.
