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सांसद सुखदेव भगत ने अनुसूचित जनजातियों के साक्षरता दर में कमी का मामला को संसद में उठाया।

सांसद ने सदन में पूछा की स्वीकृत आश्रम विद्यालयों में से 40 प्रतिशत से अधिक क्रियाशील क्यों नहीं है?

अनामिका भारती।लोहरदगा:लोहरदगा लोकसभा के सांसद सुखदेव भगत ने लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों में साक्षरता दर में कमी का मामला को संसद में उठाया। सांसद ने तारांकित प्रश्न के तहत जनजातीय कार्य मंत्री भारत सरकार से पूछा की सरकार द्वारा दी गई विभिन्न पहलू के बावजूद अनुसूचित जनजातियों में साक्षरता दर कम है। सरकार अनुसूचित जनजातियों में साक्षरता दर कम होने की समस्या का समाधान करने के लिए क्या विशिष्ट उपाय किए हैं साथ ही साथ आश्रम विद्यालय योजना में बुनियादी ढांचे और कर्मियों की कमी के कारण स्वीकृत विद्यालय में से 40% से अधिक कार्यशील नहीं है। सरकार बताएं कि स्वीकृत शत प्रतिशत आश्रम विद्यालय क्रियान्वित करने हेतु क्या कदम उठा रही है

साथ ही साथ मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना इसके माध्यम से 22 लाख से अधिक जनजातीय छात्रों को सहायता प्रदान की जाती है लेकिन समय से छात्रवृत्ति नहीं मिलने से छात्रों की परेशानियों का सामना करना पड़ता है सरकार इन विकल्पों को सुधारने और जनजातीय शिक्षा व्यवस्था को बेहतर ढंग से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार क्या ठोस कदम उठा रही है।सांसद सुखदेव भगत के प्रश्नों का जवाब देते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के मंत्री जुएल ओराम ने बताया कि केंद्र सरकार अनुसूचित जनजातियों के बीच साक्षरता दर बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं को लागू कर रखी है ।स्कूल और साक्षरता विभाग समग्र शिक्षा अभियान को लागू किया है इसके तहत अनुसूचित जनजातियों के बच्चों को फायदा हो ।एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय जनजातीय बच्चों का निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान के लिए 719 स्थान को मंजूरी दी गई है जिसमें 477 विद्यालय क्रियाशील है शेष क्रियाशील करने के लिए प्रयासरत जारी है ।2 अक्टूबर 2024 से केंद्र सरकार धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान नामक एक नया अभियान शुरू किया है इसके तहत आश्रम विद्यालय, छात्रावासों, सरकारी जनजाति आवासीय विद्यालयों के बुनियादी ढांचे में सुधार करना है

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