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समावेशी शिक्षा अंतर्गत , झारखंड शिक्षा परियोजना, लोहरदगा के तत्वावधान में जिले के आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित।

अनामिका भारती।लोहरदगा:शनिवार को झारखंड शिक्षा परियोजना, लोहरदगा के तत्वाधान में समावेशी शिक्षा अंतर्गत जिले के सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन न्यू नगर भवन, प्रखण्ड परिसर लोहरदगा में किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर जिला शिक्षा पदाधिकारी, लोहरदगा सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, झारखंड शिक्षा परियोजना, लोहरदगा नीलम आइलीन टोप्पो, जिला शिक्षा अधीक्षक सह अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सुनंदा दास चंद्रमौलेश्वर, एडीपीओ विनय बंधु कच्छप, एपीओ सह प्रभाग प्रभारी एमलीन सुरीन, फील्ड मैनेजर आकाश कुमार, विद्वान अधिवक्ता, तृषि पांडेय, सिनी प्रतिनिधि तरुण कुमार और आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं द्वारा किया गया।

डीईओ सह डीपीओ नीलम आइलीन टोप्पो के द्वारा उन्मुखीकरण कार्यक्रम के निमित सभी उपस्थित आंगनबाड़ी सेविका की महती भूमिका की जानकारी दी गई। श्रीमती टोप्पो ने कहा कि आंगनबाड़ी सहायिका की महत्वपूर्ण भूमिका है कि पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के दिव्यांग बच्चों के प्रति अधिक सतर्कता और संवेदनशीलता अपनाएं। साथ ही उनके द्वारा उन बच्चों के प्रति अर्थात दिव्यांगों बच्चों के प्रति संवेदनशील बनने हेतु उपस्थित सेविकाओं और सहायिका को प्रेरित की गई।झारखंड शिक्षा परियोजना के तत्वाधान अंतर्गत जिला शिक्षा पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, झारखंड शिक्षा परियोजना, लोहरदगा के निदेश के आलोक में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए समावेशी शिक्षा अंतर्गत जिले के सभी प्रखण्ड के सभी आंगनबाड़ी की सेविका और सहायिकाओं का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में दिव्यांग बच्चों के माता-पिता एवं समुदाय को संवेदीकृत कर समावेशी शिक्षा को सफल बनाने के लिए समाज के विभिन्न आयामों को समावेशी शिक्षा के प्रति जागरूक करने का सार्थक प्रयास किया गया।

जिसमें उन बच्चों की शिक्षा को उत्कृष्ट बनाना और विशेष शिक्षकों की भूमिका तय करते हुए इनका उपयोग साधन सेवी के रूप में करते हुए उन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम संपन्न किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यालय के पोषक क्षेत्र में रहने वाले दिव्यांग बच्चों को उनकी क्षमता अनुरूप उनकी दिव्यंगता के आधार पर पहचान करते हुए आवश्यक रणनीति निर्माण कर शिक्षा की मुख्य धारा में बनाए रखने का हर संभव हर स्तर से प्रयास किया जाना है।कार्यक्रम में समावेशी शिक्षा के प्रभाग प्रभारी एमलीन सुरीन के द्वारा सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई। जिसके अंतर्गत एक परिचय आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में परिभाषित दिव्यंगताओं पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए इनके सब कैटेगरी के आधार पर अति अल्प, अल्प श्रेणी के दिव्यांग बच्चों को विद्यालय में नामांकित करा कर लगातार अनुश्रवण के माध्यम से शिक्षा में बनाए रखना है। गंभीर एवं अति गंभीर श्रेणी के बच्चों के लिए गृह आधारित प्रशिक्षण के साथ साथ अन्य सहायक सामग्रियों को प्रदान करते हुए उनको विद्यालय से जोड़ा जाना है।

जिला शिक्षा अधीक्षक, लोहरदगा ने कहा कि पूर्व प्राथमिक के दिव्यांग बच्चे के प्रति आपकी नजरिया अपनत्व का होनी चाहिए। उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए ताकि वे भी शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ समाज और राष्ट्र के योगदान में अपनी योगदान दे सकें। सामान्य बच्चे और दिव्यांग बच्चे दोनों देश की भावी पीढ़ी हैं। इन्होंने दिव्यांगता श्रेणी एवं दिव्यांगता श्रेणी की पहचान की रणनीति निर्माण एवं विद्यालय में बनाए रखने हेतु विशेष ध्यान देने की भी जरूरत की जानकारी दी।अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विनय बंधु कच्छप के द्वारा बतलाया गया कि ऐसे बच्चों के सूक्ष्म अवलोकन करते हुए विद्यालयों में बनाए रखने हेतु उपाय एवं गृह आधारित गृह आधारित प्रशिक्षण प्रशिक्षण में कैसे जुड़ा जाना है इस पर विशेष चर्चा की गई उपस्थित प्रतिभागियों के द्वारा उन्मुखीकरण कार्यक्रम कार्यक्रम के उद्देश्य के संबंध में की गई एवं बच्चों को जोड़ने हेतु विश्वास दिलाया गया। उन्मुखीकरण कार्यक्रम में सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी की सेविका और सहायिका उपस्थित थे।

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