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लातेहार के बिशनपुर में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के निर्माण में भारी अनियमितता, गुणवत्ता पर उठे सवाल

ग्रामीण विकास विभाग के कार्य प्रणाली पर ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप कहां संवेदक और विभाग की मिलीभगत हो रहा है घटिया निर्माण

लातेहार जिला मुख्यालय अंतर्गत धर्मपुर से बिशनपुर होते हुए थामकूटा ग्राम तक में ग्रामीण विकास विभाग लातेहार से लगभग सवा 2 करोड़ रुपये की लागत से 3 किलोमीटर तक पीसीसी सड़क निर्माण कार्य चल रहा है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर सड़क सुविधा प्रदान करना है, लेकिन कार्य की वर्तमान स्थिति को देखकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश और निराशा व्याप्त है। निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिससे सड़क की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, पीसीसी निर्माण से पहले जिन लोगों के मकान सड़क निर्माण की सीमारेखा में आ रहे थे, उन्हें चिन्हित कर मापी की जानी चाहिए थी और निर्माण के लिए स्पष्ट रास्ता तैयार किया जाना चाहिए था। परंतु ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों द्वारा इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया। बिना समुचित मापी और अतिक्रमण हटाए ही निर्माण कार्य आरंभ कर दिया गया, जिससे सड़क की चौड़ाई निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं बन पा रही है।ग्रामीणों का कहना है कि सड़क की स्वीकृत चौड़ाई 16 फीट होनी चाहिए थी, लेकिन कार्यस्थल पर यह मात्र 10 से 12 फीट तक ही सीमित रह गई है। इसके अतिरिक्त, ढलाई की मोटाई भी मानक से कम 4 से 5 इंच ही की जा रही है। ढलाई के समय उपयोग किए जा रहे सामग्री की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सीमेंट की मात्रा अपेक्षाकृत कम जबकि बालू की मात्रा अधिक रखी जा रही है

, जिससे निर्माण की मजबूती और टिकाऊपन पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि निर्माण कार्य के समय स्थल पर सिर्फ मुंशी और कुछ मजदूर ही उपस्थित रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति कार्य की गुणवत्ता को लेकर सवाल करता है, तो उन्हें यह कहकर टाल दिया जाता है कि ठेकेदार से बात कर लीजिए। लेकिन ठेकेदार कभी स्थल पर नजर नहीं आते। इतना ही नहीं, जिला या प्रखंड स्तर के अभियंता भी निर्माण की निगरानी के लिए कभी नहीं पहुंचे, जिससे यह संदेह और मजबूत होता है कि इस अनियमितता में अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है।ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरीके से यह सड़क बनाई जा रही है। उससे साफ प्रतीत होता है कि निर्माण एक वर्ष भी नहीं टिक पाएगा।

बिना गुणवत्ता के और मानकों की अनदेखी कर बनाई गई सड़क जल्द ही टूट-फूट का शिकार हो जाएगी और सरकार की योजना के उद्देश्य पर पानी फिर जाएगा।स्थानीय ग्रामीण एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। साथ ही दोषी ठेकेदार और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह केवल सरकारी पैसे की बर्बादी ही नहीं, बल्कि ग्रामीण जनता के साथ अन्याय भी होगा। जिस तरह से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना (राज्य संपोषित) जैसी महत्वाकांक्षी योजना को भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ने से रोकना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हालांकि जब इस मामले को लेकर विभाग के जेइ से हमने उनका पक्ष जानने के लिए दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया

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