शहजाद आलम महुआडांड़ महुआडांड़ के जामा मस्जिद गौसिया मस्जिद मदीना मस्जिद गांव के अन्य मस्जिदों में शुक्रवार को अलविदा जुम्मा की नमाज अदा की गई।इस दौरान अन्य जुम्मा के मुकाबले काफी संख्या में लोग इबादत के लिए पहुंचे थे। जुम्मा के नमाज से पहले इमाम व ओलमाओ के द्वारा रमजान के मुबारक माह में क्या करना और नहीं करना चाहिए साथ ही अलविदा जुम्मा के बारे में भी विस्तार से बताया गया। बताते चलें कि रमजान के मुबारक महीने के अंत में जो जुम्मा आता है उसे ही अलविदा जुम्मा या जुम्मातुल विदा कहा जाता है।यह रमजान के मुबारक माह का लास्ट का असरा होता है। इस्लाम के मुताबिक रमज़ान माह को तीन हिस्सों में बांटा गया है।पहला रहमत दुसरा बरकत,व तीसरा मगफिरत।
इस लिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस लास्ट वाले दिनों में सबसे ज्यादा अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं रो रो कर फरियाद करते हैं।अलविदा जुम्मा आने पर एक तरफ ख़ुशी का माहौल होता है कि जैसे अब ईद का दिन करीब है लेकिन उससे ज्यादा गम लोगों को रमजान के मुबारक माह के गुज़रने का होता है। वहीं सभी लोग एक दुसरे को हाथ मिला कर गला मिल कर अलविदा जुम्मा की मुबारकबाद भी देते हैं।