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साइलेंट किलर है वायु प्रदूषण, बचने का बेहतर जुगाड़…

सर्दियों के इस मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर खुद-ब-खुद बढ़ जाता है, इसके चलते सांस से जुड़ी बीमारियां खासकर डायबिटीज-हाई ब्लड प्रेशर और क्रोनिक किडनी रोगियों को दिक्कतें होने लगती है। हृदय, मस्तिष्क और प्रजनन प्रणाली पर भी गहरा असर डालता है। फेफड़ों के संक्रमण, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसे केस में इजाफा होने लगता है। बच्चों और बुजुर्गों पर इसका असर ज्यादा होता है। वायु प्रदूषण हेल्दी लोगों के बायोमार्कर को भी खराब करने का काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण फेफड़ों और हृदय पर भी बुरा असर डालता है। इसके चलते ब्लड प्रेशर बढ़ता है। हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अचानक मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। कोरोनरी सिंड्रोम यानी दिल की रक्त वाहिकाएं प्रदूषण के कारण क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। दिलो-दिमाग पर यानी अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। प्रदूषित हवा बच्चों के मस्तिष्क विकास को बाधित करती है, जिससे उन्हें पढ़ने-लिखने में मन नहीं लगता है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि प्रदूषण का असर महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। बांझपन को भी बढ़ावा दे जाता है। गर्भावस्था के दौरान प्रदूषित हवा के संपर्क में आना जोखिम भरा हो सकता है।किडनी रोगी खुद का रखें ख्यालजहरीली हवा के चलते कॉपर, मर्करी और लेड जैसे धातु के कण शरीर में घुस जाते हैं, जिससे किडनी में सिस्ट बनने का खतरा बढ़ जाता है, वहीं, ये सिस्ट नेफ्रॉन में जमा हो जाते हैं और किडनी के सिस्टम को बिगाड़ देते हैं, ऐसे में किडनी काम करना बंद कर देती है। किडनी कैंसर भी इसी वजह से बढ़ रहा है। यूरिन इन्फेक्शन, प्रोस्टेट की समस्या, मोटापा, दर्दनाशक दवा, शुगर और बीपी ये सभी बीमारियां किडनी को नुकसान पहुंचाती।ऐसे करें बचावप्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीने पर जोर देना जरूरी है।

हेल्दी डाइट जैसे फल, सब्जियां और हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाना बेहतर माना गया है। घर के अंदर योग और व्यायाम करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, वहीं, वायु प्रदूषण के प्रभावों से बेहतर तरीके से लड़ने की ताकत मिलती है। अगर सांस लेने में तकलीफ, खांसी या छाती में दर्द जैसी परेशानी हो रही हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलना बेहतर है। डीजल और तंबाकू का धुआं फेफड़ों के कैंसर के खतरे को न्योता देना है। जितना हो सके, घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें, ताकि बाहर की प्रदूषित हवा अंदर न आये। एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल प्रदूषक कणों को कम करने में मदद करता है। आंगन और घर के अंदर इंडोर प्लांट्स लगाने पर जोर देना भी बेहतर है। इससे घर के अंदर का प्रदूषण कम होगा और ऑक्सीजन बढ़ेगा। भोर और शाम में घर से बाहर निकलने में बचने पर फोकस देना बढ़िया है। गाड़ी ड्राईव करते समय खिड़कियां बंद रखना बेहतर है।

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