अनामिका भारती।लोहरदगा: 15 दिसंबर को चंद्रपति यादव के प्रांगण में चल रहे 2 दिवसीय संतमत-सत्संग के दूसरे दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट, भागलपुर, बिहार से पधारे स्वामी निर्मलानन्द जी महराज ने अपने प्रवचन में धर्म, अध्यात्म और ईश्वर की एकता पर जोर देते हुए कहा:”इस धरती को मां कहकर लोग संबोधित करते हैं। विविध धर्मों के मानने वाले लोग इस देश की विशेषता हैं। सभी धर्म अलग-अलग बातों को कहते हैं
, लेकिन अंततः एक ही सत्य पर पहुंचते हैं कि ईश्वर एक है। ईश्वर की मान्यताएं सभी धर्मों में हैं, भले ही कोई उसे राम कहे, कृष्ण कहे, मां दुर्गा कहे, अल्लाह कहे, खुदा कहे या गॉड कहे। आवश्यकता है कि हम ईश्वर को जानने का प्रयास करें।”स्वामी रामेश्वरानन्द जी महराज, स्वामी लक्ष्मण जी महराज और स्वामी रविंद्र बाबा जी ने भी आध्यात्मिक साधना, ध्यान और सत्संग की महिमा पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि संतमत के माध्यम से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति संभव है।सत्संग में भजन-कीर्तन आयोजित किए गए, जिनमें लोहरदगा के श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने संतों के प्रवचनों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देने का संकल्प लिया।

इस भव्य आयोजन के सफल समापन के साथ ही लोगो में अध्यात्म और शांति का संदेश गहराई तक पहुंचा, जो आने वाले समय में समाज को एकता और सद्भाव की ओर प्रेरित करेगा।