अनामिका भारती।लोहरदगा:लोहरदगा जिला प्रशासन के अंतर्गत जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा के मार्गदर्शन में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत एक दिवसीय संघन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें ‘बाल विवाह निषेध अधिकारी’ एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के पदाधिकारी एवं कर्मियों के आपसी समन्वय से जिला के सभी प्रखंड के सभी 66 पंचायत, विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रो एवं विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में मुख्य रूप से बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की जानकारी प्रदान करते हुए बताया गया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 एक भारतीय कानून है जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और उन्हें निषेध करना है। इस अधिनियम के तहत, बाल विवाह को अपराध माना जाता है और इसके लिए दंड और जुर्माना लगाया जा सकता है।इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान हैं:1. 18 वर्ष से कम आयु के लड़के और 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के बीच विवाह अपराध है।2. बाल-विवाह करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।3. बाल विवाह के मामले में, विवाह को अमान्य माना जाएगा और विवाह के कारण होने वाले किसी भी अधिकार या दायित्व को मान्यता नहीं दी जाएगी।

4. बाल विवाह के मामले में, पीड़ित पक्ष को मुआवजा और अन्य सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।5. इस अधिनियम के तहत, बाल विवाह के मामले में पुलिस अधिकारी को मामला दर्ज करने और जांच करने का अधिकार है।बाल विवाह रोकने के लिए कई उपाय की जानकारी प्रदान की गई जिसमें1. *शिक्षा और जागरूकता*: लोगों को बाल विवाह के नुकसान और इसके परिणामों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।2. *कानूनी कार्रवाई*: बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत, बाल विवाह करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।3. *सामाजिक समर्थन*: समाज को बाल विवाह के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और इसके विरोध में आवाज उठानी चाहिए।4. *बालिकाओं की शिक्षा*: बालिकाओं को शिक्षा प्रदान करना आवश्यक है ताकि वे अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो सकें।

5. *परिवारों की भागीदारी*: परिवारों को बाल विवाह के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा और विकास पर ध्यान देना चाहिए।6. *सरकारी योजनाएं*: सरकार को बाल विवाह रोकने के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए और इन योजनाओं को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।7. *सामुदायिक भागीदारी*: सामुदायिक स्तर पर बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाना आवश्यक है ताकि लोगों को इसके नुकसान के बारे में जागरूक किया जा सके।8. *बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन*:

बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 सूचना देना अनिवार्य है ताकि लोगों को इसके बारे में जानकारी हो और वे इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकें।कार्यक्रम में सभी हितधारकों के द्वारा उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को बाल विवाह से संबंधित शपथ दिलाया गया।कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षका,जिला बाल संरक्षण इकाई से जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी, संरक्षण पदाधिकारी -संस्थानिक देखरेख , संरक्षण पदाधिकारी गैर- संस्थानिक देख रेख सोशल वर्कर ,आउटरीच वर्कर के अलावे सम्मिलित आंगनबाड़ी सेविकाएं पंचायत सचिव और पदाधिकारी/ कर्मी एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।
