अनामिका भारती लोहरदगा:धनतेरस की कहानी भगवान धन्वंतरि से जुड़ी हुई है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है।मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता हैएक बार सृष्टि से धन संपदा का लोप हो गया था और स्वर्ग पर असुरों का शासन हो गया था। इस समस्या को हल करने के लिए त्रिदेवों ने सागर मंथन करने का फैसला किया।समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही हर साल धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।धनतेरस पर बर्तन खरीदने की परंपरा है।

माना जाता है कि इस दिन बर्तन खरीदने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। धनतेरस के दिन दीपदान का बहुत महत्व है।कहा जाता है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पूर्वाह्न 10:31 के बाद कोई कार्य करना, इन्वेस्टमेंनट करना, सोना खरीदना, कुबेर पूजन करना, लक्ष्मी माता की अर्चना करना, धन से संबंधित कोई प्रयोग, पूजा या साधना करना, दान करना, तीर्थ करना, सेवा करना इत्यादि के लिए बहुत ही अच्छा समय है। धनतेरस जो की स्वयंसिद्ध मुहूर्त है और 29 को सिद्धा तिथि भी है। विशेष लाभ के लिए नवतारा चक्र, अभिजित् मुहूर्त, चौघडिया आदि का भी प्रयोग कर सकते हैं।