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सरकार के उदासीन रवैये से,किसान स्थानीय खरीददारों के हाथों मनमाने दाम में धान बेचने को मजबूर।

अनामिका भारती।लोहरदगा/भंडरा: भंडरा प्रखंड क्षेत्र में इस वर्ष मानसून की अच्छी बारिश के बाद धान की फसल पिछले 10 वर्षों से अच्छी हुई है ।धान की फसल की उपज देख किसान खुश थे कि इस बार धान की फसल अच्छी हुई है, उनकी आमदनी बढ़ेगी।किसान का सपना था कि वह अपने उपज धान को अच्छी कीमत पर बेचेंगे और ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलेगा। किसानों का कहना है कि वह धान की फसल को सरकारी दर पर लैंपस में बेचना चाहते थे परंतु इस वर्ष झारखंड की सरकार चुनाव सहित सरकार बनाने में मस्त है।सरकार के इस उदासीनता के कारण किसानों के उपज धान की कीमत होने पर कम पर मिल रही है।सरकारी स्तर पर लैंपस में धान की खरीद नहीं होने से धान की कीमत काफी हद तक प्रभावित हुई है ।धान के स्थानीय खरीददार किसानो की मजबूरी का फायदा उठाते हुए मनमाने दर पर धान की कीमत तय कर रहे हैं।किसानों के समक्ष स्थानीय खरीददारों के सिवाय किसी अन्य को बेचने का कोई विकल्प नहीं है ।जिसके कारण किसान अपनी उपज को स्थानीय धान खरीददारों के हाथों मनमाने दाम पर बेच रहे हैं।इससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। किसानों के इस समस्या पर किसी भी जनप्रतिनिधि को कोई मलाल नहीं है ।जनप्रतिनिधि किसानों की समस्या पर ध्यान देना छोड़कर अपने हित की चिंता में लगे हुए हैं। झारखंड सरकार द्वारा सरकारी स्तर पर धान की खरीद हेतु अभी तक कोई घोषणा नहीं की गई है। जिसका लाभ स्थानीय खरीदारों को हो रहा है और खामियाजा किसान भुगत रहे हैं ।इस वर्ष सरकारी दर पर सरकार के द्वारा लेंपस के माध्यम से धान की खरीदारी होती तो किसानों को धान की फसल से अच्छी आमदनी की आशा थी परंतु सरकार के उदासीन रवैया जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं दिए जाने के कारण किसानो की समस्या बनी हुई है।

किसान मनमानी दर पर अपनी उपज स्थानीय खरीददारों को बेच रहे हैं ।इस क्षेत्र से प्रतिदिन 10 ट्रक से भी ज्यादा धान बंगाल , उड़ीसा, तमिलनाडु ले जाया जा रहा है ।झारखंड सरकार द्वारा सरकारी दर पर धान की खरीद होने पर स्थानीय खरीददार भी तुलनात्मक कीमत पर किसानों से खरीदारी करते थे ।परंतु इस वर्ष झारखंड सरकार की धान खरीद पर कोई नीति निर्धारण नहीं होने से स्थानीय खरीददार अपनी मनमानी चला रहे हैं। जिससे किसानों को काफी क्षति हो रही है । किसान स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि जनप्रतिनिधि सरकार बनाने में मस्त है और किसान अपनी दुर्दशा पर पस्त।

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