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छठ महापर्व के लिए सूप-दउरा बनाने में जुटे तुरी समुदाय के लोग।

दशहरा, दिवाली के प्रति लोगों में उत्साह देख तुरी समुदाय को छठ में भी बेहतरी की उम्मीद जगी।

ब्यूरो चीफ़ अनामिका भारती भंडरा संवाददाता:दीपक अधिकारीलोहरदगा/भंडरा : दुर्गापूजा व दीपावली संपन्न होने के साथ ही लोग लोकआस्था के महापर्व की तैयारी में जुट गए हैं। लोक आस्था के महापर्व से खासतौर पर जुड़े तुरी समुदाय के लोग भी बड़े पैमाने पर सूप और दउरा बनाने के कार्य में जुट गए हैं। तुरी समुदाय के लोग ही बांस के सूप और दउरा का निर्माण करते हैं, जिसका छठ पर्व में सबसे ज्यादा महत्व है। बांस से बने सूप और दउरा को सबसे शुद्ध माना जाता है

और इसी से अ‌र्घ्य अर्पण कर छठव्रती भगवान सूर्य को प्रसन्न करती हैं। प्रखंड के भौरो, जमग़ाई आदि गावों मे तुरी मुहल्ला में दर्जनों परिवार इन दिनों सूप और दउरा बनाने के कार्य में जुट गए हैं। छठ महापर्व से एक बार फिर आमदनी की जगी उम्मीदें।बांस के सूप, दउरा तैयार करने में जुटे पंचम तुरी ने बताया कि दशहरा, दिवाली में जिस तरह से लोगों में उत्साह देखा गया, उससे छठ में भी बेहतरी की उम्मीद जगी है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना मे उनका व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ था , चैती छठ में इस बार कारोबार नहीं हो सका था । बसंत तुरी ने बताया कि कुछ वर्षो से धंधा ठीक नहीं चलने के कारण बुझे मन से सूप और दउरा तैयार कर रहे हैं। महाजन से कर्ज लेकर पुश्तैनी व्यवसाय में पूंजी लगाई है। इस बार छठ मइया से गुजारिश है कि सूप-दउरा की बिक्री हो।बांस की बाहर निर्यात होने से क्षेत्र में इसकी कीमत भी बढ़ गई है। ब्रजेश तुरी, शिवा तुरी, अशोर तुरी, परशु तुरी आदि ने बताया कि बांस की कीमत में बढ़ोतरी के कारण उनका मुनाफा कम होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार बांस की कीमत 20-25 प्रतिशत बढ़ गई है और आवक भी कम हुई है। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो ठीक, नहीं तो चैती छठ की तरह कार्तिक छठ में भी उनका धंधा मंदा रहेगा। उन्होंने बताया कि खासकर इस मुहल्ले में दर्जनों परिवार सिर्फ इसी कारोबार पर जीवित हैं।

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