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श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी की अगुवाई में धावा दल के द्वारा शहरी क्षेत्र में चलाया गया रेस्क्यू अभियान।

अनामिका भारती।लोहरदगा:जिला प्रशासन एवं द पैन इंडिया बचाव और पुनर्वास अभियान के संचालन एवं चाइल्ड एंड अडोलसेन्ट लेबर एक्ट 1986 लोहरदगा जिले में प्रभावी क्रियान्वयन हेतु श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी देव कुमार मिश्रा के अगुवाई एवं जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार के संयुक्त मार्गदर्शन में दिनांक 20.12.2024 को धावा दल के द्वारा के शहरी क्षेत्र में रेस्क्यू अभियान चलाया गया। इस क्रम में क्षेत्र में बस स्टैंड के होटल/ रेस्टोरेंट तथा बीएस कॉलेज के स्थित होटल एवं बाजार में गश्ती एवं रेस्क्यू किया गया ।

साथ ही साथ बाल श्रम विषय पर होटल एवं रेस्टोरेंट मालिकों को जागरूकता एवं पंपलेट चिपकाए गए। बाल श्रम के अंतर्गत कानूनी पहलू निम्न है:-बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016, बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 का संशोधन है. इस अधिनियम के तहत, बाल श्रम पर कई तरह के प्रतिबंध और नियम लागू किए गए हैं: इस अधिनियम के तहत, 6 से 14 साल के बच्चों को किसी भी तरह के काम में नियोजित नहीं किया जा सकता है।14 से 18 साल के बच्चों को खतरनाक कामों में नियोजित नहीं किया जा सकता. इस अधिनियम के तहत, अवैध रूप से काम कराए गए बच्चों और किशोरों के पुनर्वास के लिए जिला स्तर पर बाल एवं किशोर श्रम पुनर्वास कोष बनाया गया है. इस अधिनियम के तहत, बच्चों और किशोरों को काम पर रखने वालों के लिए कड़ी सज़ा का प्रावधान है. यह अधिनियम, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के कन्वेंशन के कानूनों के अनुरूप है. कोई भी व्यक्ति जो इस अधिनियम और बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 में उल्लिखित नियमों का पालन किए बिना किसी बच्चे या किशोर को काम पर रखता है

या उसे काम करने की अनुमति देता है, उसे छह महीने से दो साल तक की कैद या 20,000 से 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।इस अधिनियम के तहत, बाल श्रम को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं:बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाती है.औद्योगिक और व्यावसायिक संगठनों से बाल श्रम न करने के लिए निर्देश दिए जाते हैं.बाल श्रमिकों के परिवारों को आर्थिक और सामाजिक सहायता दी जाती है.बाल श्रमिकों के परिवार के वयस्क सदस्यों को नरेगा जैसे विकास कार्यक्रमों में प्राथमिकता दी जाती है.संभावित बाल श्रमिकों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. धावा दल के रेस्क्यू अभियान में सदस्य बाल कल्याण समिति लोहरदगा के श्रीमती पूजा कुमारी एवं संरक्षण पदाधिकारी (संस्थानिक देखरेख) अनुरंजन कुमार,एलजीएसएस के जिला समवयक-जितेंद्र कुमार ,चाइल्ड हेल्पलाइन लोहरदगा से काउंसलर अर्चना मिश्रा तथा श्रम विभाग लोहरदगा कर्मी दयानंद कुमार यादव एवं रूपेश सिंह इत्यादि मौजूद थे।

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