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मनोरम वादियों के बीच ऊंचे ऊंचे पहाड़ों से गिरता क्रांति झरना पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा ।

प्राकृतिक के गोद में सौंदर्य से परिपूर्ण होने के कारण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है यह कांति फॉल झरना ।

झारखंड के लातेहार जिला को ईश्वर ने फुर्सत में बनाया

आकाश कुमार लातेहार चंदवा नए साल की तैयारी शुरू हो गई है। लोग घूम भी रहे हैं। कुछ नए साल के पहले दिन अपना प्लान बना रहे हैं। प्राकृतिक ने झारखंड के इन वादियों में एक से एक खूबसूरत झरने और मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है मानो ईश्वर ने झारखंड की वादियों को फुर्सत में बनाया। हो इस ज़िले को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और सँवारा है। यहाँ चारों ओर प्रकृति के मनोरम दृश्य बिखरे पड़े हैं ।

उसी में से लातेहार व लोहरदगा जिले की सीमा पर स्थित कांति झरना की बात कहे तो ईश्वर ने इसी भी फुर्सत में बनाया हो यहां की मनमोहक दृश्य ऊंचे ऊंचे पहाड़ ऊंचे फॉल से गिरते झरने आपको कहीं ना कहीं चकित कर देगा अमझरिया घाटी से रांची रोड पर थोड़ा आगे बढ़ने पर से उत्तर की ओर मुख्य सड़क से सात किमी दूर कांति झरना प्राकृतिक के गोद में सौंदर्य से परिपूर्ण होने के कारण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है यह कांति फॉल झरना । दूध की धारा की तरह इसकी ऊंचाई से गिरती हुई पानी देखते बनती है। आपको अपनी ओर आकर्षित भी करती है।

लातेहार से 47 और रांची से 66 किमी है दूर :

यह झरना लातेहार से लगभग 47 किमी और रांची से 66 किमी की दूरी पर रांची-मेदिनीनगर सड़क से सात किलोमीटर कीi दूरी पर सेन्हा ग्राम में स्थित है।प्रखंड मुख्यालय से द्वार की दूरी करीब 15 किमी व द्वार से जलप्रपात तक की दूरी करीब चार किमी है. पीएमजीएसवाइ मद से पहुंच पथ भी बनाया गया है. हर वर्ष सैकड़ों लोग यहां मस्ती करने आते है. स्थानीय युवक पार्किंग व अन्य व्यवस्था बना कर इसका चार्ज वसूलते है. यहां आसपास ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. खाने-पीने की चीजों की दुकानें भी कम होती है

.इस इलाके को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और संवारा है।

इस इलाके को प्रकृति ने अपनी अमूल्य निधियों से सजाया और संवारा है। यहां चारों ओर प्रकृति के मनोरम दृश्य बिखरे पड़े हैं। इस जल प्रपात की ऊंचाई 200 फीट से भी अधिक है। प्राकृतिक सुंदरता को निहारने आते हैं यहां सैलानी पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध कांति झरने से गिरता सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पिकनिक स्पॉट के लिए कांति झरना खूबसूरत जगह है। नए वर्ष पर कुडू, लोहरदगा, रांची, चंदवा, लातेहार, बालूमाथ, चतरा पलामू चान्हो, गुमला, घाघरा सहित अन्य स्थानों के सैलानी इस प्राकृतिक सुंदरता को निहारने आते हैं। कांति झरना का मुख्य आकर्षण दौ सौ फीट की ऊंचाई से गिरता पानी है।बरतनी पड़ती है पूरी सावधानी

:सुंदरता का अनुभव करने के लिए काफी संख्या में पर्यटक इस जगह पर आते हैं। झरने से गिरता पानी को देखने के लिये लगभग पांच सौ फीट पहाड़ के नीचे सावधानी से उतर कर जाते हैं और प्रकृति की सुंदरता को देखकर रोमांचित होते हैं। यहां चारों तरफ फिसलन होने के कारण सैलानियों की संख्या बढ़ने पर स्थानीय लोग सक्रिय होकर लोगों को फिसलन की जानकारी देकर लगातार सचेत करते रहते हैं।

चोटी से फॉल नीचे तक पहुंचने के लिए लोगों को बड़े चट्टानों से होके गुजरना पड़ता है।

चोटी से फॉल नीचे तक पहुंचने के लिए लोगों को आधा किमी पैदल चलना पड़ता है। जो काफी कठिन है। यहां पहुंचने के बाद लोगों की थकान होना ही है लगभग 100 फीट ऊंचाई से गिर रहे खूबसूरत झरने को देखने के बाद मान पुलकित हो उठता है। चारों तरफ घनघोर जंगल के बीच झरना स्थित है।

लेकिन प्रकृति की इस अद्भुत छटा को देखने के बाद लोगों को शिमला सहित अन्य पर्यटक स्थलों की याद दिला जाता है। बता दे कि यह क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित है बावजूद इसके सैलानियों की कोई कमी नहीं होती है 31 दिसंबर और 1 जनवरी को मिलाकर लगभग 10000 से भी ऊपर सैलानी यहां आते हैं।

क्रांति झरना लांबी टोंगरी पहाड़ी पर स्थित है।

लांबी टोंगरी नामक पहाड़ी पर कांति नामक झरना स्थित है। ग्रामीणों के अनुसार इस झरने में यहां 12 महीने पानी रहता है और इसकी छटा पूरे वर्ष इसी तरह रहती है। बरसात के दिनों में ये अपने प्रचंड रूप में रहती है । शंख नदी और टीको नदी का पानी इसमे आकर गिरता है।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से कई काम आवश्यक

सुरक्षा के दृष्टिकोण से इसमें कई सुधार की आवश्यकता है। नीचे उतरने के लिए सीढ़ीनुमा रास्ता,रेलिंग और एक शेड का का निर्माण बेहद जरूरी है। हालांकि जिला प्रशासन ने इसे अपने पर्यटन को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम में रखा है। बहुत जल्द ही इसके भी दिन बहुरने वाले हैं।

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