अनामिका भारती।लोहरदगा:रिमनी देवी जीमा चटकपुर गांव की रहने वाली हैं। महिला स्वयं सहायता समूह में जुड़ने से पहले उनको चल रही योजनाओं की जानकारियां नहीं मिल पाती थी। जब वे समूह में जुड़ीं तो उन्होंने बचत करना सीखा और समूह के माध्यम से उनको सूक्ष्म टपक सिंचाई (जायका प्रोजेक्ट–पलाश जेएसएलपीएस) का लाभ मिला। इनके परिवार का मुख्य व्यवसाय खेती–बाड़ी है। समूह में जुड़ने से पहले खेती का आधुनिक तकनीक का ज्ञान न होने से परंपरागत तरीके से ही खेती-बाड़ी किया करती थीं एवं सब्जी की खेती केवल अपने घर के सदस्यों को खाने के लिए ही उगाया करती थी।

उनके घर में उनके सहित कुल 6 सदस्य हैं। वह कहती हैं कि ड्रिप खेती से पहले वह बेचने के उद्देश्य से कभी खेती नहीं की थी। उनके घर का खर्चा साल-भर धान बेचकर ही चलता था। सूक्ष्म टपक सिंचाई की योजना मिलने के पश्चात उनको पाली नर्सरी घर में बिचड़ा उगाने, वर्मी बेड में केंचुआ खाद तैयार करने, MDI बेड बनाने इत्यादि का प्रशिक्षण मिला और BMMU ( प्रखंड क्रियान्वयन ईकाई–पलाश JSLPS) कुडू की ओर से उनका एक्सपोजर भी कराया गया। आज वह अपने से नर्सरी घर में बिचड़ा उगाती हैं। वेंचुरी से फसलों में घुलनशील खाद देती है। लत्तर फसलों में स्टेकिंग करती है। भिन्न – भिन्न फसलों की बिचड़ा रोपाई का तरीका की जानकारी रखती हैं।उसके साथ साथ मशीन का रख-रखाव एवं प्रबंधन इत्यादि की जानकारी के बारे में सीख चुकी हैं I वह बताती है कि जब से टपक विधि से खेती कर रही हैं उनके कुँए में सालो भर पानी की कमी नहीं होती है क्योंकि उसी कुआँ का पानी वह अपने घर के उपयोग के लिए भी करती हैं। प्रत्येक फसल से उपज अच्छा मिल जाता है। मजदूरी में खर्चा कम आता है। बार-बार जोताई करने का झंझट भी नहीं रहता है और एक सीजन में उनको 45 हजार रूपये लेकर 55 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है Iइस प्रकार दीदी को सूक्ष्म टपक सिचाई विधि से खेती में सालभर में लगभग 1 लाख रूपये से लेकर 1.20 लाख रूपये की आमदनी हो जाती है Iआज वह 1 एकड़ में ड्रिप से खेती करने लगी हैं।

वर्तमान में उन्होंने अपने 25 डिसमिल खेत में स्टेकिंग में मटर की फसल लगाईं हुई हैं जिसमें उन्होंने 963 किलो मटर ( 34, 22 और 20 रूपये प्रति किलो की दर से ) बेचकर 24075 रूपये की आमदनी भी कर चुकी है तथा उन्होंने अपने 75 डिसमिल के खेत में फ्रेंचबीन फसल की खेती की जिससे अब तक उन्होंने 3 क्विंटल बीन (30 और 25 रूपये प्रति किलो की दर से ) बेचकर 8500 रूपये का मुनाफा कमाया है।अबतक दोनों फसल से उन्होंने कुल 32575 रूपये का लाभ कमाया है।दीदी टपक विधि से खेती करके काफी उत्साहित हैं और अपनी सब्जी की कमाई से अपनी बेटी को स्नातक की पढ़ाई करवा रही हैं। वहीं बेटा को भी 10वीं कक्षा में पढ़ा रही हैं। पूरे घर का खर्च वे स्वयं चला रही हैं। सूक्ष्म टपक सिंचाई विधि से खेती करने की इस कुशलता को देखते हुए राज्य , जिला एवं प्रखंड द्वारा इनके सूक्ष्म टपक सिंचाई माध्यम से लगी हुई फसल में एक्सपोजर विजिट भी किया जाता रहा हैIगरमा मौसम में दीदी करैला और खीरा की खेती करेंगी और मल्चिंग में प्याज की खेती करना चाहती हैं। रिमनी दीदी कहती हैं कि जेएसएलपीएस की जायका परियोजना ने उन्हें आगे बढ़ने का राह दिखायी है , जो आजीविका बढ़ाने का जरिया बनता जा रहा है I