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गढ़कसमार शिवलिंग प्रकृति की अनुपम भेंट ,अद्भुत नजारा, ईश्वरीय देन, प्रकृति का अनुपम सौंदर्य।

हनुमान जी ने पूजन हेतु आंजन धाम से आकर गुफा में शिवलिंग की स्थापना की थी।

आँजन धाम और गढ़ कसमार पर्वत श्रृंखला एक ही पहाड़ी पर अवस्थित हैं।

अनामिका भारती।लोहरदगा : लोहरदगा जिला को प्रकृति की अनुपम भेंट प्राप्त है और दर्शनीय स्थल के साथ साथ धार्मिक स्थलों की भरमार है, झारखण्ड सरकार इन प्राकृतिक मनोरम स्थलों का विकास करें तो निश्चित रूप से पर्यटक स्थल के रूप से लोहरदगा पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित किया जा सकता है

, लेकिन झारखण्ड सरकार या जिला प्रशासन शायद पर्यटन व्यापार को नजरअंदाज कर रही है और पर्यटन के क्षेत्र में उदासीन रवैया अपना रही है, अन्यथा झारखण्ड में प्रकृति इतनी अनुपम और आकर्षक धरोहर मौजूद हैं जिसे विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है।

ऐसा ही एक मनोरम दृश्य , प्रकृति की अनुपम भेंट लोहरदगा जिले के सेन्हा प्रखंड में अलौदी पंचायत स्थित चंदवे गड़गांव में 2000 फिट की ऊंचाई पर शिवलिंग विराजमान हैं जो मंदिर के अंदर नहीं हैं बल्कि पहाड़ी गुफा के अंदर पहाड़ में एक पत्थर पर निकला हुआ हैं, जिसके कारण उसे महादेव मण्डा भी कहा जाता है।यहाँ आदिवासी सरना रीति रीवाज से पाहन पुजारी पूजा करते हैं।

सेन्हा प्रखंड मुख्यालय से अर्रु चौकनी हेसवे पक्की सड़क मार्ग से या बूटी से चमडू पक्की सड़क मार्ग से अलौदी पंचायत के चंदवे गुड़गांव में ये पहाड़ अवस्थित हैं जो जमीन तल से लगभग 2000 फिट ऊंचाई पर है। इसकी खोज हाल में ही लगभग 20 वर्ष पहले हुआ हैं जिसे एक गड़ेरिया द्वारा खोज किया गया था, तब चंदवे गाँव के कुछ पुजारी एवं टाना भगत वहाँ तक किसी तरह पहुँच कर जो नजारा देखे तो हतप्रभ रह गए की गुफा के अंदर पत्थरों मे 2 फिट का शिवलिंग बना हुआ है, जिसमे एक सांप कुंडली मारे बैठा रहता है जिसे शिवरात्रि पर कभी कभी देखा जाता है। साथ ही गुप्त गंगा के रूप में गुफा की छत से पानी रिस रिस कर बून्द बून्द शिवलिंग मे गिरता हुआ रहता है

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